ह्म्म ह्म्म ह्म्म ह्म्म
पूछूँगी एक दिन
पिछले पहर में
सोए हुए चाँद तारो से
तुम्ही बताओ क्यों खफा हो
निंदिया भी किस्मत के मारो से
कब तक गुजरे रो रो के दिन यु
आँखों ही आँखों में राते
कब तक गुजरे रो रो के दिन हम
आँखों ही आँखों में राते
तुम भी सितारो सो जाते हो फिर
किससे करे जी की बाते
रखु ना जी मैं कह भी दो तुमको
शिकवा है क्या दिल बेशहारो से
पूछूँगी एक दिन
पिछले पहर में
सोए हुए चाँद तारो से
तुम्ही बताओ क्यों खफा हो
निंदिया भी किस्मत के मारो से
इतना बता दो कब रंग लाएंगी
मज़लूम की बे जुबानी
इतना बता दो कब रंग लाएंगी
मज़लूम की बे जुबानी
लिखते रहेंगे कब तक हम
अश्को से अपनी कहानी
बदलेगा किस दिन मौसम खुदा का
खेलेंगे हम सब बहरो से
पूछूँगी एक दिन
पिछले पहर में
सोए हुए चाँद तारो से
तुम्ही बताओ क्यों खफा हो
निंदिया भी किस्मत के मारो से