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Lata Mangeshkar - Raaton Ke Saye [Revival] Lyrics



Lata Mangeshkar - Raaton Ke Saye [Revival] Lyrics
Official




रातों के साये घने
जब बोझ दिल पर बने
न तो जले बाती न हो कोई साथी
न तो जले बाती न हो कोई साथी
फिर भी न डर अगर बुझें दिये
सहर तो है तेरे लिये
रातों के साये घने
जब बोझ दिल पर बने
न तो जले बाती न हो कोई साथी
न तो जले बाती न हो कोई साथी
फिर भी न डर अगर बुझें दिये
सहर तो है तेरे लिये
जब भी मुझे कभी कोई जो ग़म घेरे
लगता है होंगे नहीं सपने यह पूरे मेरे
जब भी मुझे कभी कोई जो ग़म घेरे
लगता है होंगे नहीं सपने यह पूरे मेरे
कहता है दिल मुझको माना हैं ग़म तुझको
फिर भी न डर अगर बुझें दिये
सहर तो है तेरे लिये

जब न चमन खिले मेरा बहारों में
जब डूबने मैं लगूँ रातों की मजधारों में
जब न चमन खिले मेरा बहारों में
जब डूबने मैं लगूँ रातों की मजधारों में
मायूस मन डोले पर यह गगन बोले
फिर भी न डर अगर बुझें दिये
सहर तो है तेरे लिये
हम्म हम्म हम्म हम्म
जब ज़िन्दगी किसी तरह बहलती नहीं
खामोशियों से भरी जब रात ढलती नहीं
जब ज़िन्दगी किसी तरह बहलती नहीं
खामोशियों से भरी जब रात ढलती नहीं
तब मुस्कुराऊँ मैं यह गीत गाऊँ मैं
फिर भी न डर अगर बुझें दिये
सहर तो है तेरे लिये
रातों के साये घने
जब बोझ दिल पर बने
न तो जलें बाती न हो कोई साथी
न तो जलें बाती न हो कोई साथी
फिर भी न डर अगर बुझें दिये
सहर तो है तेरे लिये
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रातों के साये घने
जब बोझ दिल पर बने
न तो जले बाती न हो कोई साथी
न तो जले बाती न हो कोई साथी
फिर भी न डर अगर बुझें दिये
सहर तो है तेरे लिये
रातों के साये घने
जब बोझ दिल पर बने
न तो जले बाती न हो कोई साथी
न तो जले बाती न हो कोई साथी
फिर भी न डर अगर बुझें दिये
सहर तो है तेरे लिये
जब भी मुझे कभी कोई जो ग़म घेरे
लगता है होंगे नहीं सपने यह पूरे मेरे
जब भी मुझे कभी कोई जो ग़म घेरे
लगता है होंगे नहीं सपने यह पूरे मेरे
कहता है दिल मुझको माना हैं ग़म तुझको
फिर भी न डर अगर बुझें दिये
सहर तो है तेरे लिये

जब न चमन खिले मेरा बहारों में
जब डूबने मैं लगूँ रातों की मजधारों में
जब न चमन खिले मेरा बहारों में
जब डूबने मैं लगूँ रातों की मजधारों में
मायूस मन डोले पर यह गगन बोले
फिर भी न डर अगर बुझें दिये
सहर तो है तेरे लिये
हम्म हम्म हम्म हम्म
जब ज़िन्दगी किसी तरह बहलती नहीं
खामोशियों से भरी जब रात ढलती नहीं
जब ज़िन्दगी किसी तरह बहलती नहीं
खामोशियों से भरी जब रात ढलती नहीं
तब मुस्कुराऊँ मैं यह गीत गाऊँ मैं
फिर भी न डर अगर बुझें दिये
सहर तो है तेरे लिये
रातों के साये घने
जब बोझ दिल पर बने
न तो जलें बाती न हो कोई साथी
न तो जलें बाती न हो कोई साथी
फिर भी न डर अगर बुझें दिये
सहर तो है तेरे लिये
[ Correct these Lyrics ]
Writer: YOGESH, SALIL CHOUDHURY
Copyright: Lyrics © Royalty Network




Lata Mangeshkar - Raaton Ke Saye [Revival] Video
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