(छोड़ के तेरा द्वार मे गिरिधर )जाऊ अब किट और
किस्से कहु दुःख दर्द
बंधी जब तुझसे प्रीत की डोर
शाम धुन लगी हरी
नाम धुन लगी हो श्याम धुन लगी
हरी नाम धुन लगी
मेरे मन में बसे नन्द लाला
हो मेरे मन में बसे नन्द लाला
हो शाम धुन लगी
हरी नाम धुन लगी रे
आँचल में जो तूने भरे
दुःख मेरे लिए सब टारे है
आँचल में जो तूने भरे
दुःख मेरे लिए सब टारे है
तेरे हाथ से कटे मिले जो
वो भी मुझको प्यार है
बना दे मुझे चाहे
मिटा दे मुझे चाहे
बना दे मुझे चाहे
मिटा दे मुझे चाहे
तेरे नाम की जप्ती हु माला
हो शाम धुन लगी
हरी नाम धुन लगी रे
गिरिधर तू है दया का सागर
तेरे चरण की मैं दासी
गिरिधर तू है दया का सागर
तेरे चरण की मैं दासी
व्याकुल मन की प्यास बुझा दे
आज तो गोकुल के वासी
जलु मैं दिन रैन
न आये मोहे चैन जलु मैं दिन रैन
न आये मोहे चैन
मेरा बिरह से पड़ गया पाला
हो शाम धुन लगी
हरी नाम धुन लगी
मेरे मन में बसे नंदलाला
शाम धुन लगी
हरी नाम धुन लगी रे