ओ ओ ओ आ आ आ आ आ आ आ आ
उन आँखों में नींद कहाँ
जिन आँखों से प्रितम दूर बसे
उन आँखों में नींद कहाँ
जिन आँखों से प्रितम दूर बसे
चैन कहाँ से पाए वो दिल
जिसका बसिया पास न हो
हार सिंगार भी ज़हर लगे उसे
जिसका रसिया पास न हो
बहते आंसू उनकी जुबां जिन
आँखों से प्रितम दूर बसे
उन आँखों में नींद कहाँ
जिन आँखों से प्रितम दूर बसे
लाख बहारे झूम के आएँ
डाली डाली फूल खिले
लाख बहारे झूम के आएँ
डाली डाली फूल खिले
मेरे मन की कली खिले जब
मुझसे प्रीतम आन मिले
वो क्या देखे मस्त समा
जिन आँखों से प्रितम दूर बसे
उन आँखों में नींद कहाँ
जिन आँखों से प्रितम दूर बसे