उठेगी तुम्हारी नज़र धीरे धीरे
उठेगी तुम्हारी नज़र धीरे धीरे
उठेगी तुम्हारी नज़र धीरे धीरे
मोहब्बत करेगी असर धीरे धीरे
मोहब्बत करेगी असर धीरे धीरे
ये माना खलिश है अभी हल्की हल्की
ये माना खलिश है अभी हल्की हल्की
खबर भी नहीं है तुम को मेरे दर्द-ए-दिल की मेरे दर्द-ए-दिल की
खबर हो रहेगी मगर धीरे धीरे
उठेगी तुम्हारी नज़र धीरे धीरे
मोहब्बत करेगी असर धीरे धीरे
मिलेगा जो कोई हसीं चुपके चुपके
मेरी याद आ जाएगी वहीं चुपके चुपके वहीं चुपके चुपके
सताएगा दर्द-ए-जिगर धीरे धीरे
उठेगी तुम्हारी नज़र धीरे धीरे
मोहब्बत करेगी असर धीरे धीरे
सुलगते है कब से इसी चाह मे हम
सुलगते है कब से इसी चाह मे हम
पड़े है निगाहें डाले इसी राह मे हम इसी राह मे हम
की आओगे तुम भी इधर धीरे धीरे
उठेगी तुम्हारी नज़र धीरे धीरे
मोहब्बत करेगी असर धीरे धीरे