भटके हुए मुसाफ़िर मन्ज़िल को ढूँढते हैं
दिल खो गया हमारा हम दिल को धूँढते हैं
वो पास नहीं मजबूर है दिल,हम आस लगाये बैठे हैं
उम्मीद भरे अर्मानों का तूफ़ान छुपाए बैठे है
जाओ के वोही बेदर्द हो तुम,वादों का जिन्हे कुछ पास नहीं
हम हैं के तुम्हारे वादों पर दुनिया को भुलाये बैठे हैं
वो पास नहीं मजबूर है दिल,हम आस लगाये बैठे हैं
बरबाद है दिल उजड़ा है चमन,बेरंग हुई फूलों की खबन
बेकार उलझते कांटो से दामन को बचाये बैठे हैं
वो पास नहीं मजबूर है दिल,हम आस लगाये बैठे हैं