यह ज़िन्दगी हमारी क्या खूब ज़िन्दगी है
यह ज़िन्दगी हमारी क्या खूब ज़िन्दगी है
हर लम्हा है पराया हर सास अजनबी है
यह ज़िन्दगी हमारी क्या खूब ज़िन्दगी है
फूलो की जुस्तजुओ में काटे भी हाथ आये
फूलो की जुस्तजुओ में काटे भी हाथ आये
रोने की कोशिशे की तो होठ मुस्कुराये
आसू या मुस्कराहट हर चीज़ एक सी है
यह ज़िन्दगी हमारी क्या खूब ज़िन्दगी है
कभी दिन हुए अँधेरे कभी रात जगमगायी
कभी दिन हुए अँधेरे कभी रात जगमगायी
कभी अपनी न उम्मीदे उम्मीद बन के आयी
समझे जिसे स्याही देखा तो रौशनी है
यह ज़िन्दगी हमारी क्या खूब ज़िन्दगी है
सौ आरजू मिले के बे आश जी रहे है
सौ आरजू मिले के बे आश जी रहे है
केहनी की है तम्मना और होठ सी रहे है
कलिया भी खिल रही है डाली भी जल चुकी है
यह ज़िन्दगी हमारी क्या खूब ज़िन्दगी है
यह ज़िन्दगी हमारी क्या खूब ज़िन्दगी है ह्म ह्म ह्म