वो दूर जो खो ही गई रे
काटा उसे तुमने तो नहीं रे
मैं क्यों कहीं ठहरा हुआ हूँ
तुम जो नहीं दिल को मिले रे
वो सूई धागों से बांधना
वो चाँद की ओर ताकना
वो बारिशों में यूँ नाचना
अब नहीं रे
वो टूटे तारे से मांगना
वो शाम को साढ़े चार का
गलियों में फिरना रे साजना
अब नहीं रे
खामोश से लगने लगे हो
क्या राज तुम दिल में रखे हो
बातें हुई पर दिल की नहीं
क्या तुम मुझे जाने कभी हो
वो सूई धागों से बांधना
वो चाँद की ओर ताकना
वो बारिशों में यूँ नाचना
अब नहीं रे
वो टूटे तारे से मांगना
वो शाम को साढ़े चार का
गलियों में फिरना रे साजना
वो सूई धागों से बांधना
वो चाँद की ओर ताकना
वो बारिशों में यूँ नाचना
अब नहीं रे
वो टूटे तारे से मांगना
वो शाम को साढ़े चार का
गलियों में फिरना रे साजना
अब नहीं रे