आज इस खत में नयी बात तुम्हे लिखता हूँ
आज इस खत में नयी बात तुम्हे लिखता हूँ
एक शायर के ख़यालात तुम्हे लिखता हूँ
आज इस खत में नयी बात तुम्हे लिखता हूँ
मुझको मालूम ये है गैर का अरमान हो तुम
चंद लम्हे को जो हो आये वह मेहमान हो तुम
उलझे उलझे से सवालात तुम्हे लिखता हूँ
आज इस खत में नयी बात तुम्हे लिखता हूँ
एक शायर के ख़यालात तुम्हे लिखता हूँ
आज इस खत में नयी बात तुम्हे लिखता हूँ
अपनी वीरान मोहोब्बत को सजाने के लिए
कितनी मांगी थी दुआए तुम्हे पाने के लिए
कैसी पुरकैफ़ थी वो रात तुम्हे लिखता हूँ
आज इस खत में नयी बात तुम्हे लिखता हूँ
मेरे हमदम मेरे साथी मेरे गमख्वार कहो
क्या इसी तरह मिलोगे मुझे हर बात कहो
जो न लिखनी थी वही बात तुम्हे लिखता हूँ
आज इस खत में नयी बात तुम्हे लिखता हूँ
एक शायर के ख़यालात तुम्हे लिखता हूँ
आज इस खत में नयी बात तुम्हे लिखता हूँ