दौलत के झूठे नशे में हो चूर
गरीबों की दुनिया से रहते वो दूर
अजी एक दिन ऐसा आयेगा
जब माटी में सब मिल जायेगा
माटी ही ओढ़न, माटी बिछावन
माटी का तन बन जायेगा
माटी में सब मिल जायेगा
ऊँचे आसमान से भी, ऊँची तेरी आस है
पर कभी सोचा नहीं, गिनती की तेरी साँस है
इसका तू हिसाब कर, अंगूठा उँगलियों पे धर
इतनी खर्च कर कहाँ भलाई में, जितनी तू लगा रहा बुराई में
भलाई का फल रह जायेगा
बाकि माटी में सब मिल जायेगा
माटी ही ओढ़न माटी बिछावन
माटी का तन बन जायेगा
माटी में सब मिल जायेगा
ऊँची हवेली ये ऊँचे मोहल
आह आ आ आ आ आ
ऊँची हवेली ये ऊँचे मोहल
पल भर में जायेंगे, पगले बदल
ले तू किसी की दुआंओ का फल
ले तू किसी की दुआंओ का फल
बदी से तू टल, और नेकी पे चल
जैसा बोयेगा, वैसा पायेगा
बाकि माटी में सब मिल जायेगा
दौलत के झूठे नशे में हो चूर
गरीबों की दुनिया से रहते वो दूर
अजी एक दिन ऐसा आयेगा
जब माटी में सब मिल जायेगा
माटी ही ओढ़न, माटी बिछावन
माटी का तन बन जायेगा
माटी में सब मिल जायेगा
दौलत के झूठे नशे में हो चूर आह आ