आ हा हा हा हा
हसीन दिलरुबा करीब आ जरा
के अभी दिल नहीं भरा
करीब आ जरा
के अभी दिल नहीं भरा
हसीन दिलरुबा करीब आ जरा
के अभी दिल नहीं भरा
रात कितनी बार थी मुझको याद ही नहीं
इतना याद है कि प्यास बढ़ गयी बुझी नहीं
शबाब से सजा गुलाब में बसा
शराब से बना जवाँ बदन तेरा
इधर तो ला जरा
के अभी दिल नहीं भरा
हसीन दिलरुबा
शर्म और लाज के सारे बंद खोल दे
मेरे अंग अंग में अपना प्यार घोल दे
न हाथ यूँ छुडा न आँखे यूँ दिखा
न चेहरा यूँ छुपा के मुझसे शर्म क्या
लिपट भी जा जरा के अभी दिल नहीं भरा
हसीन दिलरुबा करीब आ जरा
के अभी दिल नहीं भरा
के अभी दिल नहीं भरा