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Mohammed Rafi - Kabhi Sukun Ko Lyrics



Mohammed Rafi - Kabhi Sukun Ko Lyrics
Official




आ आ आ आ आ आ आ
आ आ आ आ आ आ आ

कभी सुकूँ को कभी ग़मगुसार को रोए
कभी सुकूँ को कभी ग़मगुसार को रोए
तमाम उम्र दिल-ए-बेक़रार को रोए

तुम्हारी याद भी जाने लगी दबे पाँव
आ आ आ आ आ आ आ

हम इस तरह से ग़म-ए-रोज़गार को रोए

किसी तरह से मुहब्बत को ज़िंदगी ना मिली

सहर हुई तो शब-ए-इंतज़ार को रोए

किसी की याद में हम रोए इस तरह दानिशी
आ आ आ आ आ आ आ
कि जैसे फूल मैं चमन बहार को रोए
कि जैसे फूल मैं चमन बहार को रोए
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आ आ आ आ आ आ आ
आ आ आ आ आ आ आ

कभी सुकूँ को कभी ग़मगुसार को रोए
कभी सुकूँ को कभी ग़मगुसार को रोए
तमाम उम्र दिल-ए-बेक़रार को रोए

तुम्हारी याद भी जाने लगी दबे पाँव
आ आ आ आ आ आ आ

हम इस तरह से ग़म-ए-रोज़गार को रोए

किसी तरह से मुहब्बत को ज़िंदगी ना मिली

सहर हुई तो शब-ए-इंतज़ार को रोए

किसी की याद में हम रोए इस तरह दानिशी
आ आ आ आ आ आ आ
कि जैसे फूल मैं चमन बहार को रोए
कि जैसे फूल मैं चमन बहार को रोए
[ Correct these Lyrics ]
Writer: IQBAL, DANISH BAREILVI
Copyright: Lyrics © Royalty Network




Mohammed Rafi - Kabhi Sukun Ko Video
(Show video at the top of the page)


Performed By: Mohammed Rafi
Length: 3:31
Written by: IQBAL, DANISH BAREILVI

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