भटकते देखे है लाखो मुल्ला करोड़ो पंडित हज़ारो सयाने
जो खूब सोचा समझ मे आया खुदा की बाते खुदा ही जाने
आके दुनिया मे बशर काम करना है जो कर
आके दुनिया मे बशर काम करना है जो कर
साफ नियत है अगर फिर ना अंजाम से डर
जाने पड़ती है किधर उसकी रहमत की नज़र
जाने पड़ती है किधर उसकी रहमत की नज़र
ये तो अल्लाह को खबर ये तो मौल्ला को खबर
ये तो अल्लाह को खबर ये तो मौल्ला को खबर
देखते देखते क्यू खेल बिगड़ जाते है
देखते देखते क्यू खेल बिगड़ जाते है
क्यू बहारो मे भरे बाग उजाड़ जाते है
प्यार से पाला जिन्हे अपना लहू दे देकर
उसी डाली से वोही फूल बिछड़ जाते है
किसी ज़ालिम का बसे किसी ज़ालिम का बसे
लूटे मज़लूम का घर लूटे मज़लूम का घर
ये तो अल्लाह को खबर ये तो मौल्ला को खबर
ये तो अल्लाह को खबर ये तो मौल्ला को खबर
वो जो चाहे तो बुरा वक़्त भी टल सकता है
वो जो चाहे तो बुरा वक़्त भी टल सकता है
वो ही किस्मत की लकीरो को बदल सकता है
जात पर उसकी भरोसा है तो बंदे एक दिन
रात के सिने से सूरज भी निकल सकता है
आदमी को क्या खबर आदमी को क्या खबर
उसकी मंज़िल है किधर उसकी मंज़िल है किधर
ये तो अल्लाह को खबर ये तो मौल्ला को खबर
ये तो अल्लाह को खबर ये तो मौल्ला को खबर
जाने किस भेष मे किस मोड़ पे वो मिल जाए
जाने किस भेष मे किस मोड़ पे वो मिल जाए
तेरी उम्मीद की हर एक कली खिल जाए
दिल से निकली हुई फरियाद मे वो ताक़त है
वो जो सुन ले तो पहाड़ो का भी दिल हिल जाए
माँगते रहना दुआ माँगते रहना दुआ
होगा किस वक़्त असर होगा किस वक़्त असर
ये तो अल्लाह को खबर ये तो मुल्ला को खबर
ये तो अल्लाह को खबर ये तो मुल्ला को खबर
ज़ुल्म की आग मे ज़ालिम को जलाया उसने
ज़ुल्म की आग मे ज़ालिम को जलाया उसने
एक मजदूर का घर फिर से बसाया उसने
नाम लेता हुआ उसका जो सवाली आए
उसके दरबार से हरगिज़ ना वो खाली जाए
उसके घर देर सही उसके घर देर सही
नही अंधेर मगर जाने पड़ती है किधर
उसकी रहमत की नज़र उसकी रहमत की नज़र
ये तो अल्लाह को खबर ये तो मौल्ला को खबर
ये तो अल्लाह को खबर ये तो मौल्ला को खबर