तुम्हारी आरज़ू के साये में दर्द पलता है
ये कैसा प्यार है आँखें नम हैं क्यूँ दिल जलता है
तुम्हारी आरज़ू के साये में दर्द पलता है
ये कैसा प्यार है आँखें नम हैं क्यूँ दिल जलता है
ख्वाहिशें हैं या है जूनून
दिल को कुछ भी समझ आये ना
तुम्हारी आरज़ू के साये में दर्द पलता है
चाहा तुझे सोचा तुझे दिल में बसाया तुझे
जज़्बात की हर साख पर खुसबू से लिखा तुझे
ओ बेखबर तूने मगर अपना ना समझा मुझे
दिलबर तेरी ये बेख़ुदी जान कहीं मेरी ले जाए ना
तुम्हारी आरज़ू के साये में दर्द पलता है
ये कैसा प्यार है आँखें नम हैं क्यूँ दिल जलता है