ओ
ना कोई उमंग है
ना कोई तरंग है
मेरी ज़िंदगी है क्या
इक कटी पतंग है
ना कोई उमंग है
ना कोई तरंग है
मेरी ज़िंदगी है क्या
इक कटी पतंग है
ना कोई उमंग है
आकाश से गिरी मैं
इक बार कट के ऐसे
आकाश से गिरी मैं, इक बार कट के ऐसे
दुनिया ने फिर न पूछा
दुनिया ने फिर न पूछा
लूटा है मुझको कैसे
ना किसी का साथ है
ना किसी का संग है
मेरी ज़िंदगी है क्या
इक कटी पतंग है
ना कोई उमंग है
आ लग के गले से अपने
बाबुल के मैं न रोई
आ आ आ आ लग के गले से अपने
बाबुल के मैं न रोई
डोली उठी यूँ जैसे
डोली उठी यूँ जैसे
अर्थी उठी हो कोई
यही दुख तो आज भी मेरा अंग संग है
मेरी ज़िंदगी है क्या
इक कटी पतंग है
सपनों के देवता क्या
तुझको करूँ मैं अर्पण
सपनों के देवता क्या
तुझको करूँ मैं अर्पण
पतझड़ की मैं हूँ छाया, पतझड़ की मैं हूँ छाया
मैं आँसुओं का दर्पन
यही मेरा रूप है यही मेरा रंग है
मेरी ज़िंदगी है क्या
इक कटी पतंग है
ना कोई उमंग है