ऋतु फागुन नियरानी
कोई पिया से मिलावे
कोई पिया से मिलावे
ऋतु फागुन नियरानी
कोई पिया से मिलावे
ऋतु फागुन नियरानी
कोई पिया से मिलावे
पिया को रूप कहाँ तक बरनौं
रूपहि माहिं समानी
जौ रँगे रँगे सकल छवि छाके
तन मन सबहि भुलानी
कोई पिया से मिलावे
ऋतु फागुन नियरानी
कोई पिया से मिलावे
ऋतु फागुन नियरानी
कोई पिया से मिलावे
यों मत जाने यहि रे फाग है
यों मत जाने यहि रे फाग है
यह कछु अकथ कहानी
कहैं कबीर सुनो भाई साधो
कहैं कबीर सुनो भाई साधो
यह गत विरलै जानी
कोई पिया से मिलावे
कोई पिया से मिलावे
ऋतु फागुन नियरानी
कोई पिया से मिलावे
ऋतु फागुन नियरानी
कोई पिया से मिलावे (पिया)
ऋतु फागुन नियरानी (पिया से)
कोई पिया से मिलावे
फागुन नियरानी
कोई पिया से मिलावे
कोई पिया से मिलावे
कोई पिया से मिलावे
कोई पिया से मिलावे