आ आ आ आ आ आ आ आ आ
रिश्ता मायलोक मे भटक रहा इंसान
नज़रो से खोने लगी अपनो की पहचान
रिश्ता मायलोक मे भटक रहा इंसान
नज़रो से खोने लगी अपनो की पहचान
बस इसी बात का रोना है
आदमी खिलोना है
आदमी खिलोना है
रब जो चाहे वही तो होना है
आदमी खिलोना है
आदमी खिलोना है