[ Featuring KK ]
हम्म्म हे रा री रे
हम्म्म हम्म्म हम्म्म हम्म्म
बोझल से लम्हों की शाम है
खाली सी इन आँखों में
बोझल से लम्हों की शाम है
खाली सी इन आँखों में
गुम हुवी जो रोशनी सी
थी इन आँखों में
बोझल से लम्हों की शाम है
खाली सी इन आँखों में
परिंदे मायूसी के छत
पे रोज़ आते हैं
रोज़ आते हैं
समंदर में उदासी के हैं
दिल को भिगो जाते हैं
भिगो जाते हैं
टूटे हैं जो खवाब रहते
थे इन
आँखों में
बोझल से लम्हों की शाम है
खाली सी इन आँखों में
उ उ उ उ उ
बिना जाने जबीन पे
यह लकीरे लकीरे
बन जाती हैं
बन जाती हैं
बिना पूछे ढ़ेर सारी
यादें (यादें) जब आती हैं
जब आती हैं
खाक सा धुआँ सा रहता है
इन आँखों में
बोझल से लम्हों की शाम है
खाली सी इन आँखों में
उ उ उ उ उ उ उ (उ उ उ)