आ आ आ आ आ आ आ आ
आ आ आ आ
तुम याद ना आया करो
तुम याद ना आया करो
जब याद तुम्हारी आती है
मैं पागल सा हो जाता हू
गुज़रे लम्हो की वादी मैं
मैं दूर कही खो जाता हू हो
तुम याद ना आया करो
तुम याद ना आया करो
वो झील वो लहरे वो कश्ती
वो शोख लड़कपन की मस्ती
महफूज़ है अब तक आँखो में
उस पार वो छोटी सी बस्ती
क्या क्या नही गुज़री इस दिल पे
ये बात तुम्हे मालूम नही
कैसे कटते है रो रो के
दिन रात तुम्हे मालूम नही हो
तुम याद ना आया करो
तुम याद ना आया करो
तुमने ये मुझे दी कैसी सज़ा
किस मोड़ पे लाके छोड़ दिया
जीना तो यहा मुश्किल है मगर
मरना भी हमें दुश्वार हुआ
क्या खूब मोहब्बत की तुमने
दी जख़्मो की सौगात मुझे
दिन रात बहुत तड़पाते है
वो गुज़रे हुए लम्हात मुझे हो
तुम याद ना आया करो
तुम याद ना आया करो
वो पेड़ जहा पर हम दोनो
खो जातें थे मीठी बातो में
बेख़ौफ़ मिला करते थे सनम
सर्दी गर्मी बरसातो में
जब याद वो बातें करता हू
दम जैसे निकलने लगता हे
माहोल में गम का फैला हुआ
सन्नाटा डसने लगता हे हो
तुम याद ना आया करो
तुम याद ना आया करो
जब याद तुम्हारी आती है
मैं पागल सा हो जाता हू
गुज़रे लम्हो की वादी मैं
मैं दूर कही खो जाता हू हो
तुम याद ना आया करो
तुम याद ना आया करो