अंगद ने कही देखो नहीं ऐसो राजा असभ्य अनीति कुषाशन
तीनों लोक के राजा के दूत को बैठन को नहीं देत जो आसन
आग लगी अंगद के अंग मे सुन अभिमान भरे संभासन
पुछ बिना कही पुछ न होती सो डारी लियों निज पुछ को आसन
डारी लियों निज पुछ को आसन
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अंगद ने कही देखो नहीं ऐसो राजा असभ्य अनीति कुषाशन
तीनों लोक के राजा के दूत को बैठन को नहीं देत जो आसन
आग लगी अंगद के अंग मे सुन अभिमान भरे संभासन
पुछ बिना कही पुछ न होती सो डारी लियों निज पुछ को आसन
डारी लियों निज पुछ को आसन