जीत न पायो लखन सो विफल भए सब बाण
इन्द्रजीत ने शक्ति को तब किन्हों आवाहन
बिजली के जैसी चमकी बरछी और काल की भांति चली बरछी
रण विरण के उर चिरन को पर कटिहन मार भई बरछी
सब रोकन हारे हार गये
सब रोकन हारे हार गये, नहीं काहू के रोके रुकी बरछी
लक्ष्मण को लक्ष बनाए लियों, सीधी ऊरमाए धसी बरछी