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Ravindra Jain - Jis Rah Se Rath Par Nikla Tha Lyrics



Ravindra Jain - Jis Rah Se Rath Par Nikla Tha Lyrics
Official




जिस राह से रथ पर निकला था उस राह पे पैदल आज चले
प्रतिशोद की आग लिए मन मे अपमान की कालिख मुख पे मले
जब राम विमुख हुआ राम समुख तो अहं ब्रह्मास्मि के पंख जले
तब टूटता है उचाई का भ्रम जब आता है ऊँट पहाड़ तले
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जिस राह से रथ पर निकला था उस राह पे पैदल आज चले
प्रतिशोद की आग लिए मन मे अपमान की कालिख मुख पे मले
जब राम विमुख हुआ राम समुख तो अहं ब्रह्मास्मि के पंख जले
तब टूटता है उचाई का भ्रम जब आता है ऊँट पहाड़ तले
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Writer: Biju Narayanan, K. S. Chithra
Copyright: Lyrics © Divo TV Private Limited, Sony/ATV Music Publishing LLC




Ravindra Jain - Jis Rah Se Rath Par Nikla Tha Video
(Show video at the top of the page)

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