Back to Top

Ravindra Jain - Krishan Kanhayi Jasoda Ke Ghar Lyrics



Ravindra Jain - Krishan Kanhayi Jasoda Ke Ghar Lyrics
Official




किशन कन्हाई जशोदा के घर आनंद घनो बरसावे
जनम दाइिनी मुख देखन को तरस तरस रह जाए
किशन कन्हाई जशोदा के घर आनंद घनो बरसावे

अपनी सूत का चित बनाती मन ही मन अनुमान लगाती
कितना बड़ा हो गया हो गा लल्ला खड़ा हो गया होगा
अब तो पाव चलता होगा गिरता और संभलता होगा
मैया के संग जशोदा के आँगन मे दौड़ लगता होगा
[ Correct these Lyrics ]

[ Correct these Lyrics ]

We currently do not have these lyrics. If you would like to submit them, please use the form below.


We currently do not have these lyrics. If you would like to submit them, please use the form below.




किशन कन्हाई जशोदा के घर आनंद घनो बरसावे
जनम दाइिनी मुख देखन को तरस तरस रह जाए
किशन कन्हाई जशोदा के घर आनंद घनो बरसावे

अपनी सूत का चित बनाती मन ही मन अनुमान लगाती
कितना बड़ा हो गया हो गा लल्ला खड़ा हो गया होगा
अब तो पाव चलता होगा गिरता और संभलता होगा
मैया के संग जशोदा के आँगन मे दौड़ लगता होगा
[ Correct these Lyrics ]
Writer: M.G. Sreekumar
Copyright: Lyrics © Divo TV Private Limited, Sony/ATV Music Publishing LLC




Ravindra Jain - Krishan Kanhayi Jasoda Ke Ghar Video
(Show video at the top of the page)

Tags:
No tags yet