राजमहल मे बचपन बीता व्याही राज महल मे
जीवन ऐसा खेल के कोई मेल ना आज और कल मे
कौन कहेगा देख इसे ये वही सीता सुकुमारी
टूटी टूटी सब से छूटी, बेबस एक बेचारी
वैदेही की दिन दशा को, वैदेही की दिन दशा को देख के आये रोना
हर कोई है यहा बस नीठुर नियती के हाथो का खिलौना
हर कोई है यहा बस नीठुर नियती के हाथो का खिलौना
वैदेही संग बीते कलकी अनगीन सुधिया है पल पल की
देख सिया को विचलित होना चाँद को तकना तनिक न सोना
चाँद को तकना तनिक न सोना