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Ravindra Jain - Sakal Jatan Karke Bhayee Mandodri Hataash Lyrics



Ravindra Jain - Sakal Jatan Karke Bhayee Mandodri Hataash Lyrics
Official




सकल जतन करके भई मंदोदरी हताश
दंहि को दिखे नहीं कंठ काल को पाश
अति भयभीत अमंगल सो भई पति की करनी पर पछतावे
इष्ट को कोई अनइष्ट न होई सो मन ही मन निज इष्ट मनावे
मूढ़ भयो दस मूढ़न वारों ताही मूढ़ के जो समझावे
जान की रेवा ले आयो रे जानकी रावण को अब कौन बचावे
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सकल जतन करके भई मंदोदरी हताश
दंहि को दिखे नहीं कंठ काल को पाश
अति भयभीत अमंगल सो भई पति की करनी पर पछतावे
इष्ट को कोई अनइष्ट न होई सो मन ही मन निज इष्ट मनावे
मूढ़ भयो दस मूढ़न वारों ताही मूढ़ के जो समझावे
जान की रेवा ले आयो रे जानकी रावण को अब कौन बचावे
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Writer: K. J. Yesudas
Copyright: Lyrics © Divo TV Private Limited, Sony/ATV Music Publishing LLC




Ravindra Jain - Sakal Jatan Karke Bhayee Mandodri Hataash Video
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