मेरी बाँहों को तेरी साँसों की जो आदतें लगी हैं ऐसी
जी लेता हूँ अब मैं थोड़ा और
मेरे दिल की रेत पे आँखों की जो पड़े परछाई तेरी
पी लेता हूँ तब मैं थोड़ा और
जाने कौन है तू मेरी मैं ना जानूँ ये, मगर
जहाँ जाऊँ मैं, करूँ मैं वहाँ तेरा ही ज़िकर
मुझे तू राज़ी लगती है
जीती हुई बाज़ी लगती है
तबीयत ताज़ी लगती है
ये तूने क्या किया?
मैं दिल का राज़ कहता हूँ
कि जब-जब साँसें लेता हूँ
तेरा ही नाम लेता हूँ, ये तूने क्या किया
इश्क़ की साज़िशें, इश्क़ की बाज़ियाँ
हारा मैं खेल के दो दिलों का जुआ