कई बरसों पे आये हैं आये राम गाओ री सखी मंगल गाओ री
गूँजा दुनिया में रघुवर का नाम गाओ री सखी मंगल गाओ री
कुछ फूल दे दे रे बगिया की डाली
चन्दा दे किरने तू सूरज दे लाली
झिलमिल झिलमिल कर दे जुगुनू तू घर मेरा
बरसों पर पाई है मैंने दीवाली
सजा सरगम तू मेरी ये शाम गाओ री सखी
लहराये लहरों से सरयू का पानी
आरति को आकुल हैं धरती महारानी
बरसों पे लौटे जो रघुकुल के राजा तो
चुनरी अयोध्या ने पहनी है धानी
नहीं पल भर भी मन को आराम गाओ री
राजा हैं रघुवर माँ सीता है रानी
होगी न दुनिया में ऐसी की कहानी
फिर से रामायण का युग होगा भारत में
घर घर में गूंजेगी तुलसी की बानी
साधु संतों के तप आये काम गाओ री