सोचा था तुमसे मिलते ही कहूँ
के तुम्हारा हुआ दिल
दूर तुमसे केसे मैं रहूं
जब तुम ही हो मंज़िल ओ डर सा लगे
ऐसा ना हो कहीं हंस कर टाल दो तुम
जो अपनी हैं प्यारी दोस्ती
उसे दिल से निकाल दो तुम
दिल में जो बातें हैं
कह ना सके चुप ना रहे
दिल में जो बातें हैं
कह ना सके चुप ना रहे
लाखों अरमान सीने में लिए
कब तक छुपाऊं
तुम्ही को घेरे सपने जो सीए
अब उन्हे सजाऊं ओ
मैंने किया यही फ़ैसला
चाहे दिल को सज़ा ही मिले
यूँही रहा अगर हौसला
तो बन जाएँगे सिलसिले
दिल में जो बातें हैं
कह ना सके चुप ना रहे
दिल में जो बातें हैं
कह ना सके चुप ना रहे
मैंने किया यही फ़ैसला
चाहे दिल को सज़ा ही मिले
यूँही रहा अगर होसला
तो बन जाएँगे सिलसिले
दिल में जो बातें हैं
केह ना सके चुप ना रहे
दिल में जो बातें हैं
कह ना सके चुप ना रहे
दिल में जो बातें हैं
कह ना सके चुप ना रहे
दिल में जो बातें हैं
केह ना सके चुप ना रहे