ओ ओ ओ ओ ओ
धूप से छन के
धूप से छन के धुँआ मन हुआ
रूप ये चमके तन अन छुआ
छिड़ते हैं बजते हैं
तार जो मन के खनके झनके हैं
कुछ तो हुआ
धूप से छन के धुँआ मन हुआ
रोमरोम नापता है
रगों में सांप सा है
सरारा सरारा भागे बेवजह
ओ रोमरोम नापता है
रगों में सांप सा है
सरारा सरारा भागे बेवजह
सरके है खिसके है
मुझ में ये बस के दस के
दिल गया
दर्द बिन दवा आ आ
धूप से छन के धुँआ मन हुआ
छिड़ते हैं बजते हैं
तार जो मन के खनके झनके हैं
ओ ओ ओ ओ ओ
आ आ आ आ आ