आसमाँ को भी ये हँसी राज़ है पसंद
उलझी उलझी साँसों की आवाज़ है पसंद
मोती लुटा रही है सावन की बदलियाँ
बाहों के दरमियाँ दो प्यार मिल रहे हैं
बाहों के दरमियाँ दो प्यार मिल रहे हैं
जाने क्या बोले मन, डोले सुन के बदन
धड़कन बनी ज़ुबाँ
बाहों के दरमियाँ
खुलते, बंद होते लबों की ये अनकही
मुझ से कह रही है कि बढ़ने दे बेखुदी
मिल यूँ कि दौड़ जाएँ नस नस में बिजलियाँ
बाहों के दरमियाँ दो प्यार मिल रहे हैं
बाहों के दरमियाँ दो प्यार मिल रहे हैं
जाने क्या बोले मन, डोले सुन के बदन
धड़कन बनी ज़ुबाँ
बाहों के दरमियाँ