आ आ आ आ आ आ आ
दर्द ख़ामोश रहा टूटती आवाज़ रही
मेरी हर शाम तेरी यादो की हमराज़ रही
दर्द ख़ामोश रहा टूटती आवाज़ रही
मेरी हर शाम तेरी यादो की हमराज़ रही
दर्द ख़ामोश रहा
आ आ आ आ आ आ आ
शहर में जब भी चले ठंडी हवा के झोंके
शहर में जब भी चले ठंडी हवा के झोंके
तपते शहर की तबीयत बड़ी ना-साज़ रही
दर्द ख़ामोश रहा
आईने टूट गए अश्क़ की सच्चाई पर
आईने टूट गए अश्क़ की सच्चाई पर
और सच्चाई हमेशा की तरह राज़ रही
दर्द ख़ामोश रहा
आ आ आ आ आ आ आ
इक नए मोड़ पे उस ने भी मुझे छोड़ दिया
इक नए मोड़ पे उस ने भी मुझे छोड़ दिया
जिस की आवाज़ में शामिल मेरी आवाज़ रही
दर्द ख़ामोश रहा टूटती आवाज़ रही
मेरी हर शाम तेरी यादो की हमराज़ रही
दर्द ख़ामोश रहा आआ आआ