जाने किस डगर है चला यह मन बावरा
नैनो में चुभे टूटा सा कोई ख्वाब सा
झूठे दिलासे रे हमको रुलाये रे
कैसी सजा है या खुदा
क्या नसीबा चाहे
तू ही बता हाय
क्यों जुदा हैं रहे
तू ही बता हाय
झूठे दिलासे रे हम को रुलाएं रे
कैसी सजा है या खुदा
क्या नसीबा चाहे
तू ही बता हाय
क्यों जुड़ा हैं रहे
तू ही बता हाय
आय नसीबा हो
जो अंधेरों में है डूबा ये पल
इसे कैसे रोशन करूँ
जलूं जैसे परवाने जलते हैं
या शामा के जैसे जलूं
दोनों ही बातों में
जलना है रातों में
कैसी सजा है या खुदा
क्या नसीबा चाहे (नसीबा चाहे)
तू ही बता हाय
क्यों जुदा हैं राहें (जुदा हैं रहे)
तू ही बता हाय
झूठे दिलासे रे हुमको रुलाएँ रे
कैसी सजा है या खुदा
क्या नसीबा चाहे
तू ही बता हाय
क्यों जुदा हैं रहे
तू ही बता बता हाय
ये नसीबा