धीमे कदमो से चलता है ये कल मेरा
खींचे हर पल करे परेशान
आँधियो से गुज़रता है पल मेरा
बांधे हर पल करे परेशान
नैनो में छुपे थे सितारे
नही दिखते ये अब है कहा
खाली है नदी के किनारे
चलता पानी दिशा ले जाती जहा
खाबो को पिघलाता है जो
यादो को सहलाता है
कोनो में जम जाता है ये
शीशो में बह जाता है
रेत सा है फिसलता ये कल मेरा
खींचे हर पल करे परेशान
बारीशो मे है सूखा ये कल मेरा
बांधे मुझको करे परेशान
गलियो में चमकते नज़ारे
रहते थे ये अब है कहा
पतझड़ यादो को सवारे
बहता झोका नही है मांझी मेरा
खाबो को पिघलाता है जो
यादो को सहलाता है
कोनो में जम जाता है ये
शीशो में बह जाता है