फिर सड़को पे बैठा है
गीले कदमो से लिपटा है
नही गुजरा है, आधा दिन
पंछी लौटे, शामे गिन
सागर कहता है
सूखे दिन चाहता है
आँखो का ये है मेला
बहते आँसू, गम झेला
बातो मे यू अकेला
आगे चलने की बेला
फिर सड़को पे बैठा है
गीले कदमो से लिपटा है
नही गुजरा है, आधा दिन
पंछी लौटे, शामे गिन
सागर कहता है
सूखे दिन चाहता है
सागर कहता है
सूखे दिन चाहता है
हू हू हू हू हू हू हू हू हू हू हू