करवटें बदलते रहे सारी रात हम
आप की क़सम आप की क़सम
करवटें बदलते रहे सारी रात हम
आप की क़सम आप की क़सम
ग़म न करो दिन जुदाई के बहुत हैं कम
आप की क़सम आप की क़सम
याद तुम आते रहे इक हूक़ सी उठती रही
नींद मुझसे नींद से मैं भागती छुपती रही
रात भर बैरन निगोड़ी चाँदनी चुभती रही
आग सी जलती रही गिरती रही शबनम
आप की क़सम आप की क़सम
करवटें बदलते रहे सारी रात हम
आप की क़सम आप की क़सम