मैं तुझ को अगर इक फूल कहूँ
तेरे रुतबे की तौहीन है ये
तेरा हुस्न हमेशा क़ायम है
दम भर के लिये रंगीन है ये
मैं तुझ को अगर इक फूल कहूँ
ये आँख अगर उठ जाये
तो हर एक सितारा सजदा करे
आ जाये कहीं होंठों पे हँसी
बिजली भी तड़प कर आह भरे
बिजली भी तड़प कर आह भरे
मैं तुझ को अगर इक फूल कहूँ
मैं तुझ को अगर इक फूल कहूँ
तेरे रुतबे की तौहीन है ये
ये ज़ुल्फ़ अगर खुल जाये तो
रातों की जवानी शरमाये
रफ़्तार का आलम क्या कहिये
रफ़्तार का आलम क्या कहिये
बहता हुआ दरिया थम जाये
मैं तुझ को अगर इक फूल कहूँ
मैं तुझ को अगर इक फूल कहूँ
तेरे रुतबे की तौहीन है ये
दिन रात महकते रहने की
कलियों ने अदा तुझ से पाई
ये चाँद जो घटता बढ़ाता है
दरस्ल है तेरी अंगड़ाई
दरस्ल है तेरी अंगड़ाई
मैं तुझ को अगर इक फूल कहूँ
तेरे रुतबे की तौहीन है ये