जब तेरे आस पास रहता हूँ मै
दिन अच्छे जाते है
थपकीयाँ देती हैं जब बातें तेरी
नींद अच्छी आती है
मेरे हर दुख की दवा तू
मैं दूर तुझसे रहा क्यूँ
मेरा ही मुझको पता है
तेरा क्या है तू ही बता दे
मैं जानू ना के
तेरा तोहफा हूँ मैं या सज़ा हूँ
क्या हूँ क्या ही कहूँ
क्यो उलझा हूँ
तेरा तोहफा हूँ मै या सज़ा हूँ
क्या हूँ क्या ही कहूँ
क्यो उलझा हूँ
हैं जो सिलसिले इनके सिले
आगे हो क्या हम जाने ना
फिर भी जवाब ढूँढे तो क्यो
तू मुझसे मिले
हस के मिले हस के विदा
इसके सिवा हम कोई ख्वाब
ढूँढे तो क्या
कल क्या हो किसको पता
यूँ बैठे सोचे बेवजह क्यूँ
होना है जैसा भी
होगा तो वैसा ही
फिर भी कभी सोचता हूँ मैं की
तेरा तोहफा हूँ मैं या सज़ा हूँ
क्या हूँ क्या ही कहूँ
क्यो उलझा हूँ
तेरा तोहफा हूँ मैं या सज़ा हूँ
क्या हूँ क्या ही कहूँ
क्यो उलझा हूँ