तेरे ही घर के रस्तों पर
अब मेरा दम निकले
जाऊ जहाँ भी तेरी ही बाहों
में हर पल निकले
चाहे मिले सौ सौ ग़म फिर भी
तुझसे ही हम संभले
तेरे ही घर के रस्तों पर
अब मेरा दम निकले
खुद को मेरे यारा तुझपे लूटा दिया
मंज़िल को अपनी तेरा रास्ता बना लिया
बन जाऊ दवा तेरे सारे गम की
ख्वाब यही रहे
तेरे ही घर के रास्तों पर
अब मेरा दम निकले
वाजिब है इश्क़ में तेरे
ऐसा जुनून मिले
जब भी तुझको देखूं
फिर ही सुकून मिले
ना दूर तू मुझसे हो जाए
हर धड़कन यह कहे
तेरे ही घर के रास्तों पर
अब मेरा दम निकले
जाऊ जहाँ भी तेरी ही बाहों
में हर पल निकले